Saturday, March 29, 2014
Wednesday, March 12, 2014
न इस तरह भी ख़यालो में कोई बस जाए...
मैं अपने आप को सोचूँ,किसीकी याद आए
तमाम रात रहा नींद का सफर जारी
सजे रहे किसी आँचल के मेहरबाँ साए
तुम्हारे पास पहुँचकर कुछ ऐसा लगा
सफ़र से जैसे मुसाफिर वतन में आ जाए
वो चंद पल जो बचा लाए थे हम अपने लिए
सितम तो ये है के वो भी न हमको रास आए
हमारी जीत अलग है,हमारी हार अलग
ज़मानेवालो को ये बात कौन समझाए
Singer-गाथा जाधव
तमाम रात रहा नींद का सफर जारी
सजे रहे किसी आँचल के मेहरबाँ साए
तुम्हारे पास पहुँचकर कुछ ऐसा लगा
सफ़र से जैसे मुसाफिर वतन में आ जाए
वो चंद पल जो बचा लाए थे हम अपने लिए
सितम तो ये है के वो भी न हमको रास आए
हमारी जीत अलग है,हमारी हार अलग
ज़मानेवालो को ये बात कौन समझाए
Singer-गाथा जाधव
Shayar-बशर नवाज़
Composer-सुधाकर कदम
Composer-सुधाकर कदम
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