उसके मुह से झूठ सच्चाई लगे
शख़्स वो मुझको तिलिस्माई लगे
चारों मौसम करवटें ले एकसाथ
ऐसी मुझको उसकी अंगड़ाई लगे
आइने के हक़ में अब मैं क्या कहूँ
हर सुख़नवर उसका शैदाई लगे
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मीर भी ग़ालिब भी इसमे दाग़ भी
(और वो) ये ग़ज़ल तुलसी की चौपाई लगे
गुलुकार - मयूर महाजन
शायर - अनंत नांदुरकर 'ख़लिश'
मोसिकार - सुधाकर कदम
तबला - डॉ.देवेन्द्र यादव
हार्मोनियम - रामेश्वर ताकतोडे
व्हायोलिन - हरीश लांडगे
की बोर्ड - आशिष कदम
●headphone or earphone please...
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